ALI CONGRESS
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برائے اشاعت
اسرائلی پرچم جلانے والے ، اسرائلی اعلیٰ عہدیدارکی لکھنوآمد پر خاموش کیوں؟ تنظیم علی کانگریس
لکھنو 11 جولائی تنظیم علی کانگریس کی ہفتہ وار نشست میںآج کے دن کی اہمیت کا ذکر کرتے ہوئے کہا گیا کہ یہ وہ تاریخی دن ہے جب ہمارے مولیٰ اور ہمارے لئے نمونہءعمل حضرت امام حسین وقت کے سب سے بڑے طاغوت کے خلاف اپنے سفر پر روانہ ہوئے تھے ۔ یہ دن ہمیں یاد دلاتا ہے کہ وقت کے یزیدوں اور انکے ہم نواوں کی مخالفت کے لئے کمر بستہ رہنا ہی ہر حسینی کا فریضہ ہے اور یہ دعا کی گئی کہ اللہ ہمیں ہر حال میں اسوہءحسینی پر عمل کرتے رہنے کی توفیق عطا کرے ۔اسکے بعد حالاتِ حاضرہ کا جائزہ لیتے ہوئے اس بات پر شدید تشویش کا اظہار کیا گیا کہ اسرائل کا ایک اعلیٰ عہدیدار لکھنو کے ایک پانچ ستارہ ہوٹل میںتین دنوں تک مقیم رہا اور اس سے مختلف مسلم صحافی، دانشور اور کچھ مولویوں کے نمائندے ملتے رہے۔ یہ صاف ظاہر ہو گیا ہے کہ یہودیوں کی نظریں خصوصیت سے لکھنو پرجمی ہیں۔ دیکھنے والی بات یہ ہے کہ وہ خود ساختہ قائد جو ہر آئے دن اسرائل کا پرچم جلایا کرتے ہیں اس موقعہ پر چُپّی سادھ کر بیٹھ گئے۔ یہ سونچنے کی بات ہے کہ آخر ان دنوں میں کوئی احتجاج کیوں نہیں کیا گیا جب کہ یہودی عہدے دار شہرمیں موجود تھا تا کہ اسکا کوئی اثراسرائیلی حکومت پر بھی پڑتا ۔اس سے اس بات کو تقویت ملتی ہے کہ یہ لوگ جو اسرائیل کے خلاف فرضی مظاہرے کرتے رہتے ہیں در اصل صرف اور صرف ضلعہ انتظامیہ کو مرعوب کر کے اپنے ذاتی فائیدے کرتے رہنا چاہتے ہیں۔اسی کے ساتھ ساتھ انتہائی افسوس ناک بات ہے کہ شہادتِ امام موسیٰ کاظم کے موقعہ پر بڑے امامباڑے کو سجایا سنوارا گیا اورجمعہ کے دن کوئنز بیٹن کا استقبال کیا گیا اور اس معاملے میں امام جمعہ کے مُنہ سے ایک لفظ بھی نہ نکلا۔ اگر عبادت گاہوں کو کھیل کود اور ایسے دوسرے تفریحی مواقعہ کے لئے استعمال کیا جائے گا جس سے خاص غم کی تاریخوں میں بھی اُن کا تقدّس مجروح ہوتا رہاتو قوم کے لئے اسے برداشت کر پانا مشکل ہوگا۔ہم امید کرتے ہیں کہ حسین آباد ٹرسٹ کے ذمہ داران آئیندہ اس بات کا خیال رکھیں گے کہ عبادت گاہوں کا استعمال صرف عبادت کے لئے ہی کیا جائے۔ دوسری طرف اسی دن عراق میںیہودی اورسعودی ایجنٹوں اور تکفیریوں کے حملے میںزائیرین کی شہادت پر شدید غم وغصہ کا اظہار کیا گیا۔ مسجد شہدرہ کی ۷۲ بیگھا آراضی کا سوداا ٓخر کار حکومت کے ہاتھوں ہو گیا ہے اور اس پر پوری طرح قبضہ ہو چکا ہے۔ قومی املاک کے ٹھیکے دار وں اور انکے حاشیہ برداروںکی مجرمانہ خاموشی یہ بتاتی ہے کہ ذاتی مفادات کی خاطر کس طرح عبادت گاہوں کو بیچا جا رہا ہے۔ چئیرمین شیعہ وقف بورڈ فوری طور پر اس معاملے کی پوری جانکاری قوم کو دیں ورنہ یہ مانا جائے گا کہ اس جرم میں وہ بھی شامل ہیں۔ شہر میں بارش نہ ہونے سے عباد اللہ سخت تکلیف میں مبتلا ہیں ایسے میں مولویوں کو چاہئے کہ جلد از جلد نماز استسقاءقائم کریں اور اللہ سے بارش کی دعا کریں۔
آخرمیں تحریک عزاداری و تحفظ اوقاف کے منصوبہ ساز الحاج مرزا جاویدمرتضٰ والیسع رضوی طاب ثراہ کے ایصال ثواب کے لئے صورة فاتحہ کی تلاوت کی گئی۔
جاری کردہ لائق علی
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बराए इशाअत
इस्राइली परचम जलाने वाले ,इस्राइली आलाٰ उहदेदार की लखनऊ आमद पर ख़ामोश क्यों? तनज़ीम अली कांग्रेस
लखनऊ -11 जुलाई तनज़ीम अली कांग्रेस की हफ्ता वार निशस्त मेंआज के दिन की एहमीयत का ज़िक्र करते हुऐ कहा गया कि ये वो तारीख़ी दिन है जब हमारे मौला और हमारे लिए नमूनाएअमल हज़रत इमाम हुसैन वक्त के सब से बड़े तागूत के ख़िलाफ़ अपने सफ़र पर रवाना हुऐ थे । ये दिन हमें याद दिलाता है कि वक्त के यजीदों और उनके हम नवाओ की मुखालफ़त के लिए कमर बसता रहना ही हर हुसैनी का फ़रीज़ा है और ये दुआ की गई कि उल्लाह हमें हर हाल में उस्वाए हुसैनी पर अमल करते रहने की तौफ़ीक़ अता करे ।असके बाद हालाते हाजिरा का जायज़ा लेते हुऐ इस बात पर शदीद तशवीश का इज़हार क्या गया कि इसराइल का एक आलाٰ उहदेदार लखनऊ के एक पाँच सितारा होटल में तीन दिनों तक मुकीम रहा और इस से मुख़तलिफ़ मुस्लिम सहाफ़ी, दानिश्वर और कुछ मौलवियों के नमाइनदे मिलते रहे। ये साफ़ ज़ाहिर हो गया है कि यहूदीयों की नज़रें ख़सूसीयत से लखनऊ पर जमी हैं। देखने वाली बात ये है कि वो ख़ुद साख़ता क़ाइद जो हर आए दिन इसराइल का परचम जलाया करते हैं इस मौक़ा पर चुप्पी साध कर बैठ गए। ये सोचने की बात है कि आख़िर इन दिनों में कोई एहतजाज क्यों नहीं किया गया जब कि यहूदी ओहदेदार शहर में मौजूद था ता कि असका कोई असर इसराईली हुकूमत पर भी पड़ता ।इस से इस बात को तक़वीयत मिलती है कि ये लोग जो इसराईल के ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी मुज़ाहिरे करते रहते हैं दर असल सिर्फ और सिर्फ ज़िला इंतिज़ामीया को मरऊब कर के अपने ज़ाती फाएदे करते रहना चाहते हैं।इसी के साथ साथ इन्तिहाई अफ़सोसनाक बात है कि शहादत ए इमाम मूसीए ٰकाज़िम के मौक़ा पर बड़े इमामबाड़े को सजाया संवारा गया और जुमें के दिन कुईंस बैटन का इस्तक़बाल किया गया और इस मुआमले में इमाम जुमा के मूह से एक लफ्ज़ भी ना निकला। अगर इबादतगाहों को खेल कूद और ऐसे दूसरे तफ़रीही मवाक़िया के लिए इस्तेमाल किया जाएगा जिस से ख़ास ग़म की तारीख़ों में भी उनका का ताक़द्दुस मजरुह होता रहा तो क़ौम के लिए उसे बर्दाश्त कर पाना मुश्किल होगा।हम उम्मीद करते हैं कि हुसैनआबाद ट्रस्ट के ज़िम्मादारान आईनदह इस बात का ख़्याल रखेंगे कि इबादत गाहों का इस्तेमाल सिर्फ इबादत के लिए ही किया जाए। दूसरी तरफ़ इसी दिन ईराक़ में यहूदी और सऊदी एजेंटों और तकफ़ीरयों के हमले में ज़ाएरीन की शहादत पर शदीद ग़म ओ-ग़ुस्सा का इज़हार किया गया। मस्जिद शहदरा की 72 बीघा आराज़ी का सौदा आखिर ٓकार हुकूमत के हाथों हो गया है और इस पर पूरी तरह क़ब्ज़ा हो चुका है। कौमी इम्लाक के ठेके दार और उनके हाशीया बारदारों की मुजरमाना ख़ामोशी ये बताती है कि ज़ाती मुफ़ादात की ख़ातिर किस तरह इबादत गाहों को बेचा जा रहा है। शीया वक़्फ़ बोर्ड के चेअरमैन फ़ौरी तौर पर इस मुआमले की पूरी जइनकारी क़ौम को दीं वर्ना ये माना जाए गा कि इस जुर्म में वो भी शामिल हैं। शहर में बारिश ना होने से इबाद उल्लाह सख़्त तकलीफ़ में मुबतला हैं ऐसे में मौलवियों को चाहिऐ कि जल्द अज़ जल्द नमाज़ इस्तिस्क़ा कायम करें और उल्लाह से बारिश की दुआ करें।
आखिर में तहरीक अज़ादारी व तहफ्फुज़ औक़ाफ़ के मनसूबा साज़ अल्हाज मिर्ज़ा जावेद मुर्तुजा ٰ व यसा रिज़वी मरहूम के इसाले सवाब के लिए सूरए फ़ातिहा की तिलावत की गई।
जारी करदा लायक़ अली
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